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सिर्फ
3 लाइन का कानून,
कुछ ही महीनो में
गरीबी और
भ्रष्टाचार कम
कर सकता है (पारदर्शी
शिकायत-प्रस्ताव
सिस्टम)
प्रजा अधीन
भारत समूह ; प्रजा अधीन शासक
द्वारा सम्पूर्ण
विकास
लेखक
: राहुल चिमनभाई
मेहता www.rahulmehta.com; फेसबुक
ग्रुप : www.facebook.com/groups/rrgindia ;
चर्चा
फोरम : www.forum.righttorecall.info ; वेबसाइट
– www.righttorecall.info ; www.smstoneta.com/prajaadhinbharat
ई-मेल
: info@righttorecall.info ; प्रश्नोत्तरी
: www.righttorecall.info/004.h.pdf
टी.सी.पी.
पर विडियो - youtu.be/OZKwL6wI9uc राईट टू रिकॉल
पर राजीव दीक्षित
जी : youtu.be/W2sj7M9bkNg ; टी.सी.पी.
पर प्रश्नोत्तरी
के विडियो - youtube.com/user/TCPHindiFAQs
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
सूची
2. टी.सी.पी. या पारदर्शी
शिकायत / प्रस्ताव
सिस्टम का क्या
मतलब है और ये कैसे
काम करेगा ?
4. क्या टी.सी.पी
का प्रयोग करने
के लिए प्रत्येक
भारतीय नागरिक
को इंटरनेट आवश्यक
होगा ?
5. टी.सी.पी कानून
के आने से 3-4 महीनों
में गरीबी कैसे
कम हो जाएगी ?
6. टी.सी.पी को लागू
करने के लिए निर्धारित
दिशानिर्देशों
की जरुरी बातें
क्या हैं ?
6.2
माँग के समर्थकों
की संख्या का प्रमाण
6.3
जनसेवकों
के मन में जनता
का भय
11. कुछ सच्चाईयाँ
जिन्हें मीडिया
/ नेता / राजनेता
/ उच्च वर्ग के लोग
जनता से छिपा रहे
हैं –
12. मैं इसमें
शामिल हो चुका
हूँ | क्या अब मैं पर्चे
बाँट सकता हूँ
?
13. क्या मैं
पैसे भी दान कर
सकता हूँ ?
14. एक अच्छे
चुनावी प्रत्याशी
और अच्छे मतदाता
के क्या कर्तव्य
है?
15. “जन सेवक को एस.एम.एस-प्रचार
तरीके” से जुड़ने और नागरिकों
को एकजुट करने
के लिए कुछ तरीके
15.1 अपने सांसद / प्रधान
मंत्री को एस.एम.एस. ऑर्डर के
रूप में कुछ लाइन
लिख कर भेजें
15.2.1 मोबाइल के
एक्टिवेशन के लिए
(चालू करने के लिए)
एस.एम.एस. भेजना
15.2.2 मतदाता अपने
एक्टिवेट मोबाइल
फोन से पंजीकृत
एस.एम.एस. कोड भेज
सकते हैं
15.3 अपने नए मुद्दों
तथा एस.एम.एस. कोड
को हमारी साईट
पर पंजीकृत (रजिस्टर)
करें – 3 कदम (स्टेप)
15.4 अपंजीकृत
प्रयोगकर्ताओं
के लिए (अर्थात यदि आप
के पास वर्तमान
में वोटर आईडी
नहीं है)
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
जब
80 करोड़ मतदाता
नागरिकों को इस
टी.सी.पी. के बारे
में पता चलेगा, तब
उनमें से ज्यादातर
मतदाता नागरिक
अपने लाभ को समझेगें
और टी.सी.पी. के ड्राफ्ट
को भारत के राजपत्र
में छपवाने के
लिए अपने जनसेवक
सांसद को पूछेंगे
और हमारे सांसद
प्रधानप्रत्री
से पूछेंगे | इसके
केवल दो घारा है
(#3 यह धारा केवल घोषणा
है )
# |
अधिकारी धारा
1 |
प्रक्रिया |
1. |
कलेक्टर (और
उसके क्लर्क) |
कोई भी नागरिक
मतदाता, यदि खुद
हाजिर होकर, एफिडेविट
पर अपनी सूचना
अधिकार का आवेदन
अर्जी / भ्रष्टाचार
के खिलाफ फरियाद
/ कोई प्रस्ताव
या कोई अन्य एफिडेविट
कलेक्टर को देता
है और प्रधानमंत्री
की वेब-साईट पर
रखने की मांग करता
है, तो कलेक्टर
(या उसका क्लर्क)
उस एफिडेविट को
प्रति पेज 20 रूपये
का लेकर, सीरियल
नंबर देकर, एफिडेविट
को स्कैन करके
प्रधानमंत्री
की वेबसाइट
पर रखेगा, नागरिक
के वोटर आई.डी. के
साथ, ताकि सभी बिना
लोग-इन के वे एफिडेविट
देख सकें । |
2. |
पटवारी
(तलाटी,
लेखपाल) |
(2.1) कोई भी नागरिक
मतदाता यदि धारा-1
द्वारा दी गई अर्जी
या एफिडेविट पर
आपनी हाँ या ना
दर्ज कराने मतदाता
कार्ड लेकर आये,
3 रुपये का शुल्क
(फीस) लेकर, तो
पटवारी नागरिक
का मतदाता कार्ड
संख्या, नाम, उसकी
हाँ या ना को कंप्यूटर
में दर्ज करके
रसीद दे देगा ।
(2.2) नागरिक पटवारी
के दफ्तर जाकर
किसी भी दिन अपनी
हाँ या ना, बिना
किसी शुल्क के
रद्द कर सकता है
और तीन रुपये देकर
बदल सकता है । (2.3) कलेक्टर एक
ऐसा सिस्टम भी
बना सकता है, जिससे
मतदाता का फोटो,
अंगुली के छाप
रसीद पर डाला जा
सके | और मतदाता
के लिए फीडबैक
(पुष्टि) एस.एम.एस.
सिस्टम बना सकता
है | (2.4) प्रधानमंत्री
एक ऐसा सिस्टम
बना सकता है, जिससे
मतदाता अपनी हाँ
या ना, 10 पैसे
देकर एस.एम.एस. द्वारा
दर्ज कर सके | |
3. |
---------------- |
ये कोई रेफेरेनडम
/ जनमत-संग्रह
नहीं है | यह हाँ
या ना अधिकारी,
मंत्री, न्यायधीश,
सांसद, विधायक,
अदि पर अनिवार्य
नहीं होगी । लेकिन
यदि भारत के 40 करोड़
नागरिक मतदाता,
कोई एक अर्जी, फरियाद
पर हाँ दर्ज करें,
तो प्रधानमंत्री उस फरियाद,
अर्जी पर ध्यान
दे भी सकते हैं
या ऐसा करना उनके
लिए जरूरी नहीं
है, या इस्तीफा
दे सकते हैं । उनका निर्णय अंतिम
होगा । |
मांग किये गये
इस टी.सी.पी - पारदर्शी
शिकायत / प्रस्ताव
सिस्टम सरकारी
आदेश का सार है :-
1. यदि नागरिक चाहे, तो अपनी
फरियाद / शिकायत
/ प्रस्ताव 20 रूपये प्रति
पेज देकर कलेक्टर
की कचहरी जाकर
प्रधानमंत्री वेबसाइट
पर स्कैन करवा सकेगा । इस शिकायत
को बिना लॉग-इन
किये सभी आम नागरिक
देख सकेगें
2. यदि नागरिक चाहे
तो 3 रुपये
का शुल्क देकर
धारा
1 में दी गई फरियाद / शिकायत
/ प्रस्ताव पर अपनी
हाँ/ना प्रधानमंत्री वेबसाइट
पर दर्ज करवा सकेगा
। और उस नागरिक
की हाँ / ना पधानमंत्री की
वेबसाइट पर
दिखाई देगी | यह हाँ-ना दर्ज
कराने की कीमत
3 रूपये से घटकर
10 पैसे हो जायेगी,
जब यह प्रकिया
एस.एम.एस. पर आ जायेगी
| नागरिक अपना मत किसी
भी दिन रद्द कर
सकता है या
बदल सकता है
इस
कारण ये प्रक्रिया
ना तो पैसों द्वारा
खरीदी जा सकती
है, ना ही गुंडों
या मीडिया द्वारा
प्रभावित की जा
सकती है |
3. हाँ
/ ना पधानमंत्री
पर अनिवार्य नहीं
है
ये पारदर्शी
शिकायत / प्रस्ताव
सिस्टम ये पक्का
करेगा कि नागरिकों
की शिकायत / प्रस्ताव
हमेशा देखी जा
सकती है और जाँची
की जा सकती है कभी
भी, कहीं भी, किसी
के भी द्वारा ताकि
शिकायत को कोई
नेता, कोई बाबू
(लोकपाल आदि), कोई
जज या
मीडिया न दबा सके
|
अब मान लीजिए
कि आप के यहाँ के
हजारों-लाखों मतदाता
अपने भ्रष्ट मंत्री
के विरुद्ध शिकायत
दर्ज करवाना चाहते
हैं या और उसे बदलना
चाहते हैं या उस
पर कोई अन्य करवाई
चाहते हैं | तो आज
कोई विरोध करने
का क्या सिस्टम
है ? एक विकल्प है
धरना, लेकिन `धरना`
बेकार है यदि वो
`फिक्स` नहीं है
या बिकाऊ मीडिया
द्वारा दिखाया
नहीं जाये | और सरकार
ईमानदार धरना को
लाठी द्वारा दबाती
है | एक दूसरा विकल्प
है हस्ताक्षर अभियान
- हस्ताक्षर अभियान
भी फेल हो जाता
है क्यूंकि हमारे
देश में सरकार
के पास नागरिकों
के हस्ताक्षरों
का कोई रिकोर्ड
नहीं है और इसीलिए
हस्ताक्षर मेल
से उनकी जांच नहीं
की जा सकती और इन
हस्ताक्षरों को
मीडिया या नेता
झूठा बोल सकते
हैं |
अब, यदि
प्रधान मंत्री
ने टी.सी.पी. पर हस्ताक्षर
कर दिए हैं और
ये शिकायत ऊपर
दी गयी टी.सी.पी.
प्रक्रिया द्वारा
दी जाये, जिसमें
नागरिक-मतदाता
700 कलेक्टर में से
किसी
भी कलेक्टर के
दफ्तर जा कर एफिडेविट
दे सकते हैं – “मंत्री
सही से काम नहीं
कर रहा | उसपर उचित
करवाई हो |” इस एफिडेविट
को कलेक्टर या
उसका क्लेर्क स्कैन
कर लेगा और प्रधान
मंत्री के वेब-साईट
पर डाल देगा, नागरिक
से रु.20 प्रति पन्ना
शुल्क लेने के
बाद | 20 रुपये शुल्क
में सभी खर्चे
निकल जायेंगे प्रक्रिया
के लिए और इसीलिए
सरकार ये बहाना
नहीं लगा सकती
कि इस प्रक्रिया
के लिए उसके पास
पैसे नहीं है क्यूंकि
इसका खर्चा प्रयोगकर्ता
देगा | अब क्योंकि
इस शिकायत का एक-एक
शब्द दुनिया के
लाखों-करोड़ों लोग
देख सकते हैं, कभी
भी, इसीलिए इस शिकायत
को जरा भी छेड़-छाड़
नहीं किया जा सकता
है बिना लाखों
लोगों को पता लगे
| (इस प्रक्रिया
के लिए सरकारी
आदेश आने के कुछ
ही महीनों में,
इस प्रक्रिया को
तहसीलदार दफ्तरों
और बड़े डाक-खानों
में भी शुरू की
जा सकती है, मतलब
नागरिक के पास
ऐसी हजारों जगह
होगी जहाँ पर वो
बिना किसी के रोक-टोक
के अपनी एफिडेविट
प्रधानमंत्री
वेबसाइट पर रखवा
सकेगा और दूसरे
नागरिक भी एफिडेविट
को देख सकते हैं)
और
इसके समर्थन में
व्यक्ति को कलेक्टर
के दफ्तर नहीं
जाना है, केवल अपने
पास के पटवारी
या तलाटी, जो भूमि
का रिकॉर्ड रखता
है और कलेक्टर
के द्वारा ही रखा
गया होता है, के
पास जाना है और
अपना वोटर आई.डी.
के जानकारी आर
अंगुली की छाप
देगा और वो भी वेब-साईट
पर आ जायेगी | इस
तरह कोई भी ये नहीं
कह सकता कि समर्थक
जाली हैं क्यूंकि
नागरिकों की राय
हमेशा सभी को दिखेगी
और कोई भी नागरिक
इस डाटा के एक सैम्पल
की जांच वोटर आई.डी.
द्वारा कर सकता
है | उल्टा जो भी
व्यक्ति या मीडिया
इस मुद्दे को नहीं
उठाएगा, उसपर भरोसा
कम हो जाएगा | इसिलिए मीडिया
वाले भी उठाएंगे
और देश भर में लोग
जान जाएँगे कि
इस मंत्री के खिलाफ
लाखों लोगों की
शिकायत है और संभव
है कि और लोग भी
पटवारी के दफ्तर
जा कर इस शिकायत
के साथ नाम जोड़ेंगे
|
और
ये लाखों समर्थक
शिकायत करने के
बाद ऐसे ही नहीं
बैठे रहेंगे, वो
अपने स्थान के
विधायक, सांसद,
आदि लोगों पर दबाव
डालेंगे कि देखो,
लाखों लोग बोल
रहे हैं कि इस भ्रष्ट
मंत्री को निकालो,
तो फिर ये दबाव
उन सांसदों और
उन सांसदों द्वारा
प्रधान-मंत्री
पर भी आएगा | सांसद
प्रधान-मंत्री
को बोलेंगे कि
हमारी लोकप्रियता
दिनों दिन कम होती
जा रही है | ऐसा ना
हो कि हम अगले चुनाव
तक बिलकुल ही जीरो
हो जाएँ या उससे
पहले भी लोगों
का गुस्सा हमें
झेलना पड़े, इसीलिए
आप ये मंत्री पर
कार्यवाई करें
| इस प्रकार जनता
के दबाव से ये प्रक्रिया
काम करेगी और लाखों–करोड़ों
लोगों की शिकायत
या प्रस्ताव को
सरकार को सुनना
होगा | ये प्रक्रिया
एक प्रकार की वैकल्पिक
नागरिकों की मीडिया
होगी , जिसमें जाँची
जा सकने वाली जानकारी
होगी और जिसके
कारण बिकाऊ मीडिया
का प्रभाव कम होगा
और मीडिया को सही
समाचार डालना पड़ेगा,
नाकि बिकाऊ, झूठा
समाचार |
हाँ, सिर्फ इतना
ही । अब सवाल
आता है कि क्या
मात्र एफिडेविट
और हाँ/ना प्रधानमत्री
के वेबसाईट पर
आने करने से गरीबी,
पुलिस का भ्रष्टाचार,
अदालतों का भाई–भतिजावाद
आदि समस्याओं
का हल आ जायेगा ? इस चार पेज
के लेख में मैंने
समझाने का प्रयास
किया है । वाचक
के मन में अनेक
प्रश्न आ सकते
है, जिनमें से अनेक
का जवाब अधिकतर
पूछे जाने वाले
प्रश्न righttorecall.info/004.h.pdf पर दिया हैं (ये ही प्रश्नोत्तरी
वीडयो के रूप में
इस लिंक में भी
देख सकते हैं - http://www.youtube.com/user/TCPHindiFAQs ) | और वाचक को
जवाब न मिले, तो फोन पर या
मुलाकात करके या
www.forum.righttorecall.info पर सवाल रखने
की विनती हैं |
नहीं
। यह “गलत
प्रश्न” अक्सर
हमसे पूछा जाता
है। टी.सी.पी की प्रक्रिया
में इन्टरनेट कनेक्शन
से कोई फर्क नहीं
पड़ता। क्योंकि
क) नागरिक को अपनी
शिकायत दर्ज करवाने
कए लिए स्वंय कलेक्टर
के कार्यालय में
जाना होगा। ख) अन्य नागरिकों
को शपथ पत्र पर
हाँ / ना पंजीकृत
करवाने के लिए
स्वंय ही तलाती
(लेखपाल, पटवारी, ग्राम
अधिकारी) के कार्यालय
में जाना होगा।
इसलिए, इस कानून का
प्रयोग करने के
लिए किसी भी नागरिक
को इंटरनेट की
आवश्यकता नहीं
होगी ।
इसलिए,
सभी भारतीय मतदाता
नागरिक इसका प्रयोग
कर सकेंगे । जिन
नागरिकों के पास
इंटरनेट की सुविधा
है, वे आसानी से
शपथ पत्रों को
पढ़ सकेंगे। जिन
नागरिकों के पास इंटरनेट
की सुविधा नहीं
है, वे उन लोगों
से मौखिक तौर पर
शिकायतों के बारे
में जानकारी प्राप्त
कर सकते हैं जिनके
पास इंटरनेट की
सुविधा है, तथा
जिनकी इन जानकारियों
का प्रचार करने
में रुचि हो। यदि
कोई व्यक्ति शिकायत
के बारे में जानना
चाहता हो, तो अपने किसी
ऐसे मित्र से इसका
प्रिंट आउट ले
सकता है जिसके
पास इंटरनेट कनेक्शन
हो । भविष्य में,
प्रसिद्ध शिकायतों
को प्रिंट मीडिया
तथा टीवी / रेडियो
पर भी स्थान दिया
जा सकता है ।
जिस दिन प्रधानमंत्री
इस टीसीपी कानून
पर हस्ताक्षर करेंगे, उस दिन हम 200 ऐसे
कानूनी ड्राफ्ट
(मसौदे) एफिडेविट
के रूप में प्रस्तुत
करेंगे जो हमारे
अनुसार भारत की
दशा सुधार सकेंगे
। देश के बहुत से
समझदार नागरिक
इस प्रकार के बेहतर
प्रस्तावों को
ढूँढने के इतने
सरल सिस्टम से
प्रेरित होकर हजारों
की संख्या में
ऐसे ही बेहतरीन
ड्राफ्ट प्रस्तुत
कर सकेंगे!! वोट
डालने वाले नागरिक, इन ड्राफ्ट में
से बेहतरीन ड्राफ्ट
को समर्थन देंगे, निम्न स्तर के
ड्राफ्ट को नजरअंदाज
करेंगे तथा हानिकारक
ड्राफ्ट का विरोध
करेंगे।
जो महत्वपूर्ण
(जरुरी) ड्राफ्ट
हम प्रस्तुत करेंगे
उनमें से एक ड्राफ्ट
है -
एम.आर.सी.एम.-मिनरल
रॉयल्टी फॉर सिटिजंस
एण्ड मिलिट्री
लॉ अर्थात नागरिकों
तथा सेना के लिए
खनिजों से प्राप्त
रोयल्टी (आमदनी)
का कानून (अध्याय
5 में 7 पेजों का कानून
मसौदा देखें www.righttorecall.info/301.h.pdf ) | “भारत में सभी
सार्वजनिक संपत्तियों
पर यहाँ के नागरिकों
का स्वामित्व है”
| एम.आर.सी.एम. से एक
ऐसा प्रशासनिक
सिस्टम बनाया जाएगा
जिसके द्वारा क)
रक्षा विभाग ख)
प्रत्येक नागरिक
भारत सरकार के
भूखण्डों से मिलने
वाले खनिजों व
भूमि के किराए
से प्राप्त होने
वाले आमदनी (राजस्व)
में से उसका अधिकार
सीधे ही प्राप्त
कर सकेगा ।
उदाहरण के
लिए, दिसंबर 2008 में
भारत सरकार की
भूमि से प्राप्त
खनिज राजस्व व
भूमि किराया 30,000 करोड़ रुपये प्रतिमाह
था । एम.आर.सी.एम.
कानून के अनुसार,
इनमें से 10,000 की
राशि सेना को तथा
शेष 20,000 की राशि
देश के 120 करोड़ नागरिकों
में बाँटी जाएगी।
इस प्रकार हर नागरिक
अपने स्थानीय पोस्ट
ऑफिस खाते अथवा एस.बी.आई.
बैंक खाते में
लगभग 200 रुपये प्राप्त
करेगा ।
हर नागरिक
को हर महीने 200 रुपये
ज्यादा मिलने से
गरीब लोगों की
भूख से होने वाली
मौतों को रोका
जा सकेगा । यदि
देश का प्रत्येक
नागरिक पैसा निकालने
के लिए महीने में
एक बार बैंक जाता
है, तो उनके लिए
मात्र 100,00 क्लर्कों
की आवश्यकता होगी
। वैसे, आज एस.बी.आई.
बैंक में 3 लाख क्लर्क हैं और सभी
सरकारी बैंकों
की कुल स्टाफ संख्या
6 लाख है । इसीलिए,
एम.आर.सी.एम. को लागू
करने के लिए बहुत
अधिक स्टाफ की
आवश्यकता नहीं
होगी बल्कि इसकी
व्यवस्था आसानी
से हो सकेगी।
जनता की किसी
भी माँग को पूरा
करने के लिए तीन
तत्व आवश्यक होते
हैं –
6.1
स्पष्ट माँग
6.2
माँग के समर्थकों
की संख्या का प्रमाण
6.3
जनसेवक
के मन में जनता
का डर
1.
बिना स्पष्ट
मांगों के विरोध-प्रदर्शन
करने का उल्टा
असर पड़ सकता है
। कैसे? उदाहरण
के लिए यदि जनता
यह माँग करती है
कि “भ्रष्टाचार
को रोकने के लिए
एक बेहतर कानून
बनाया जायें” परंतु
जनता इस बारे में
और कोई जानकारी
नहीं देती है | अर्थात
प्रस्ताव बनाने
के लिए सरकारी
अधिकारियों को
विस्तृत निर्देश
या ड्राफ्ट नहीं
मिलता है, तो सत्ता
में आने के बाद
जनसेवक ऐसा कमियों
वाले कानून और
नीतियाँ बना सकते
हैं जिनसे गलत
लोगों को आपस में
सांठ-गाँठ करके
इन कानूनों को
नजरंदाज करने का
मौका मिल जाए तथा
इन कानूनों में
आम नागरिकों को
ऐसे सांठ-गाँठ
(गठजोड़) बनने से
रोकने का कोई अधिकार
नहीं मिले ।
2.
टी.सी.पी
कानून व एम.आर.सी.एम.
कानून को पढ़ें
व समझें । हमारे
प्रस्तावित कानून
की विस्तृत जानकारी
के लिए कृपया www.rightorecall.info/301.h.pdf को
पढ़ें | जैसा कि बिंदु
संख्या 3 में विनती
किया गया है, हमसे तथा अन्य
कार्यकर्ताओं
से बातचीत करके
अपनी शंकाओं का
समाधान करें।
3.
एक बार
जब आप टी.सी.पी और
/ या एम.आर.सी.एम के
ड्राफ्ट से संतुष्ट
हो जाते हैं, तो
इसके बारे में
अपने परिवार तथा
मित्रों को बताएँ
। अन्य नागरिकों
को भी किसी भी माध्यम
से इनके बारे में
जानकारी दें जैसे
कि सोशल मीडिया
(फेसबुक, ट्विटर
या कोई अन्य साईट), व्याख्यान, फोन, एस.एम.एस.
आदि। परंतु इसका
सबसे आसान तरीका
यह है कि आप इस पर्चों
की फोटोकॉपी करवा
कर उसे लोगों में
बांटें ।
4.
इसीलिए,
यदि एक राईट टू
रिकॉल-कार्यकर्ता
4000 नागरिकों को यह
सूचना देता है,
तो इससे लगभग 10-20 नए
राईट टू रिकॉल
कार्यकर्ता बनते
हैं । ये कार्यकर्त्ता
अन्य 4000 नागरिकों
को सूचना देंगे
। यह सिलसिला तब
तक जारी रहेगी
जब तक कि सभी 80 करोड़
मतदाताओं को इसकी
जानकारी नहीं मिल
जाती ।
1.
जनसेवकों
से अपनी माँगें
मनवाने का सबसे
अच्छा तरीका है
एस.एम.एस. अभियान
के द्वारा एक जुट
होना –
विरोध
प्रदर्शन के लिए
अथवा किसी मुद्दे
पर अपनी माँग रखने
के लिए आजकल जो
अभियान चलाए जाते
हैं जैसे कि अर्जी
देना, हस्ताक्षर
एकत्र करना, पत्र
भेजना, अनशन-धरना
आदि, इन सबमें भाग
लेने वाले समर्थकों
की संख्या को प्रमाणित
करना संभव नहीं
हो पाता | तथा समर्थकों
की संख्या के प्रमाण
के बिना सरकार
पर उचित दवाब नहीं
पड़ता
| यही कारण है
कि हम इस बात पर
जोर देते हैं कि
अन्य आंदोलन के
तरीकों के साथ-साथ
लोग एस.एम.एस. के
द्वारा अपने सांसदों
/ विधायकों को कुछ
लाइन के आदेश भेजने
में भी अपना 5-10 मिनट
लगाएँ |
इसके अलावा, उसी एस.एम.एस. के
द्वारा हम सांसद/प्रधानमंत्री
से यह भी कहें कि
वे अपने पब्लिक
मोबाईल को उनकी
वेबसाइट से भी
लिंक करें ताकि
लोग जो एस.एम.एस
उन्हें भेजें वे
उनकी वेबसाईट पर
अपने आप आ जाये
और सभी लोग उन्हें
देख सकें | ‘जनसेवकों
के लिए एस.एम.एस-आदेश
’- के इस अभियान
से किसी भी विशेष
मुद्दे पर उसे
समर्थन देने वालों
की संख्या सिद्ध
करना संभव होगा
क्योंकि एस.एम.एस.
को वोटर आई.डी. के
साथ जोड़ दिया जाएगा
; साथ ही अभियान
का यह तरीका अन्य
तरीकों की तुलना
में अधिक सुरक्षित
और विश्वसनीय है
| अत: हम एस.एम.एस.अभियान
को एक बीच का टी.सी.पी.
का तरीका मानते
हैं |
इस
प्रकार के एस.एम.एस.
भेजने के अलावा,
लोगों को चाहिए
कि अपने भेजे हुए
एस.एम.एस.-आदेश जनता
को दिखाएँ | इसके
लिए, वे इन एस.एम.एस.
को www.smstoneta.com/hindi पर रजिस्टर्ड
(पंजीकृत) कोड के
रूप में दोबारा
भेज सकते हैं अथवा
फेसबुक के वॉल-नोट
के रूप में दर्शा
सकते हैं या इंटरनेट
पर कहीं भी अपलोड
करके उसका लिंक
शेयर कर सकते हैं | जिन लोगों
के पास इंटरनेट
नहीं है वे इन भेजे
गए एस.एम.एस.-ऑर्डर
के बारे में मीटिंग,
पर्चों अथवा किसी
भी अन्य सुविधाजनक
तरीके से लोगों
को जानकारी दे
सकते हैं |
एस.एम.एस.-ऑर्डर
भेजने में तथा
लोगों को इसके
बारे में बताने
में 5-10 मिनट लगेंगे
तथा थोड़े से पैसे
खर्च करके यह कार्य
करोड़ों लोग कर
सकते हैं | परंतु
यदि किसी लोक-सभा क्षेत्र
में मात्र 5000-10000 लोग
भी इस कार्य को
करते हैं तथा यदि
वहाँ का सांसद
इस पर कोई जवाब
नहीं देता अथवा
कोई संतोषजनक जवाब
नहीं देता है तो
उसे लोगों के सामने
सबूत के साथ बेनकाब
किया जा सकता है
| यही नहीं भविष्य
में आने वाला सांसद
पर भी लोगों की
इस प्रामाणिक माँग
को पूरा करने का
दवाब रहेगा |
इसलिए,
जब तक हम आम नागरिक
स्पष्ट एवं प्रामाणिक
तरीके से जनसेवकों
को यह नहीं बताते
हैं कि हम उनसे
वास्तव में क्या
चाहते हैं और क्या
नहीं चाहते हैं,
तब तक उन्हें तथा
अन्य नागरिकों
को इसका पता कैसे
चलेगा ?
इस
तरह से हमें अपने
संवैधानिक कर्तव्य
पूरा करने चाहिए | हम अगले
पाँच साल क्यों
इंतजार करें? हम
पाँच सालों तक
क्यों सोते रहें
और बाद में पाँच
सालों तक क्यों
रोते रहें और क्यों
पाँच सालों में
सिर्फ एक दिन के
लिए ही जागृत हों
? यह लोकतंत्र नहीं
है | और यदि जनसेवक
हजारों नागरिकों
की बात नहीं सुनते
हैं, तो हमें चाहिए
कि हम उन जनसेवकों
को जनता के सामने
सबूतों के साथ
बेनकाब करें तथा
उसे पाँच सालों
को सहने की बजाय
किसी भी दिन उसकी
जगह किसी अच्छे
व्यक्ति को ले
आएँ |
आज
हम लोग विभिन्न
दलों, धर्मों, जातियों,
वर्गों, मुद्दों
आदि में बँटे हुए
हैं
| आओ, हम सब अपने
दलों आदि को छोड़े
बिना `सांसदों/विधायकों
आदि जनसेवकों को
एस.एम.एस.` अभियान
में एकजुट हो जाएँ
| आओ, हम सब अकेले
ही या समूहों में
मिलकर कुछ ऐसा
करें जिससे आम
लोगों को लाभ मिले
साथ ही सभी नागरिक
उन बुराइयों और
भ्रष्ट ताकतों
के विरुद्ध एकजुट
हो सकें जो आम लोगों
को लूटना चाहते
हैं |
अपनी
प्रिय माँगों के
लिए एस.एम.एस.-ऑर्डर
भेजने के अलावा,
यह एस.एम.एस.-ऑर्डर
भी भेजें कि सांसदों
का पब्लिक मोबाइल
नंबर सांसदों की
वेबसाईट से लिंक
किया जाए ताकि
एस.एम.एस. के द्वारा
सांसद को भेजी
गई लोगों की राय
को सभी लोगों के
द्वारा देखा जा
सके और उसे सत्यापित
किया (जांचा) जा
सके
| यह सार्वजनिक
माँग करके हम सभी
नागरिक एक साझा
मंच पर आ सकते हैं
तथा एक जुट हो सकते
हैं |
अपने
सांसद को एस.एम.एस.
भेजने के साथ-साथ
अच्छा होगा कि
यदि आप www.smstoneta.com पर अपने
वोटर आई.डी तथा
मोबाईल के साथ
रजिस्टर कर दें
ताकि आप अपने एस.एम.एस.
को एक कोड के रूप
में इस साइट पर
दोबारा भेज सकें
तथा आपका एस.एम.एस.
आपके वोटर आई.डी
के साथ पब्लिक
जगह) में आ सके तथा
इसका पूरा प्रभाव
पड़ सके | साइट पर
रजिस्टर कैसे करें
तथा एस.एम.एस. कैसे
भेजें यह जानने
के लिए कृपया www.smstoneta.com साईट
को देखें | साथ ही,
इस बात का प्रमाण
देखने के लिए कि
सांसदों, विधायकों
तथा कॉरपोरेटरों
को भेजे जाने वाले
एस.एम.एस.-ऑर्डर
काम करते हैं, इस
वीडियो को देखें
-http://www.youtube.com/watch?v=ALTiEKXrPl8
2.
नागरिकों
का बहुमत टी.सी.पी
जैसे जनहित के
कानूनों की माँग
करेंगे तथा उन्हें
बढ़ावा देंगे जिनसे
देश का भी हित (फायदा)
होगा – 80 करोड़ मतदाताओं
में से 95% मतदाता
नागरिक (=76 करोड़) टी.सी.पी
तथा एम.आर.सी.एम
कानूनों का समर्थन
करेंगे | 95% समर्थन
क्यों करेंगे?
सिर्फ 5% लोग ही इसे
अनदेखा क्यों करेंगे?
क्योंकि 95% लोग
ऐसे होंगे हो अपने
अधिकार के 200 रुपये
हर महीने नहीं
छोड़ना चाहेंगे
! गरीब से गरीब व्यक्ति
भी यह सोचेगा कि
“मेरा क्या
जाएगा, केवल 3 रुपये
| यदि प्रधानमंत्री
टी.सी.पी पर हस्ताक्षर
कर देते हैं तथा
एम.आर.सी.एम कानून
के लिए पारदर्शी
शिकायत-प्रस्ताव
सिस्टम (=टी.सी.पी)
की मंजूरी दे देते
हैं, तो हमें हमारी
संपत्ति में से
वास्तव में हमारे
अधिकार का हिस्सा
मिलेगा, यानि 200 प्रति
व्यक्ति प्रति
माह, जिसका अर्थ
होगा “हमारे शोषण
की समाप्ति” |
1.
नागरिकों
को चाहिए कि वे
जनसेवकों को इस
बात का अहसास करवाएँ
कि यदि उन्होंने
आम लोगों की माँगों
को पूरा नहीं किया
तो इससे उन्हें
ही घाटा उठाना
पड़ेगा |
सांसदों,
प्रधानमंत्री
तथा अन्य जनसेवकों
पर 76 करोड़ मतदाता
नागरिकों का जबरदस्त
दवाब पड़ने से प्रधान
मंत्री को टी.सी.पी
पर हस्ताक्षर करने
के लिए मजबूर होना
पड़ेगा तथा तथा
एम.आर.सी.एम कानून
पारित करना पड़ेगा
(प्रारंभ में 20 करोड़
अर्थात कुल मतदाता
नागरिकों के 25% भाग
का दवाब डालते
हुए शुरुआत की
जा सकती है) कोई
भी प्रधानमंत्री
20 से 76 करोड़ अथवा अधिक
नागरिकों की ‘हाँ’ को नकारने की
हिम्मत
क्यों करेगा
? नहीं !! प्रधानमंत्री
टी.सी.पी पर हस्ताक्षर
करेंगे तथा एम.आर.सी.एम
कानून के लिए पारदर्शी
शिकायत-प्रस्ताव
सिस्टम (=टी.सी.पी)
की अनुमति प्रदान
करेंगे | दो महीनों
के भीतर ही नागरिकों
को खनिज रॉयल्टी
तथा भारत सरकार
की भूमि के किराए
से होने वाली आमदनी
मिलने लगेगी तथा
इस प्रकार से गरीबी
में कमी आएगी |
2.
अपने पर
विश्वास वाले नागरिक
इस संबंध में शुरुआत
करेंगे तथा यह
माँग करेंगे कि
ऐसे ही दूसरे जनता
के लिए लाभदायक
कानूनों को लागू
किया जाये |
इसके
बाद, यदि नागरिकों
के टी.सी.पी. द्वारा
समर्थन दिया गया,
तो टैक्स-सुधार
अध्याय 25, www.rightorecall.info/301.h.pdf (अथवा अन्य
बुद्धिमान भारतीय
नागरिकों द्वारा
दिए गए और भी बेहतर
प्रस्ताव) हमारे
फैक्ट्रीयों में
सामान बनाने को
बढ़ाएँगे तथा गरीबी
को दूर करने में
अच्छा योगदान देंगे
|
3.
टी.सी.पी
लोगों को एक साझा
मंच पर एकजुट करेगा
.
कुछ
कार्यकर्ता सोच
सकते हैं कि जब
टी.सी.पी आम लोगों
तक पहुँचेगा, तो उनके इस पसंदीदा
कानून के ड्राफ्ट
को अधिकतर नागरिकों
का समर्थन प्राप्त
होगा इससे वे स्वंय
ही टी.सी.पी का अभी
प्रचार करेंगे
| उदाहरण के लिए,
हो सकता है कि “गो-हत्या विरोधी” कार्यकर्ता
को एम.आर.सी.एम. में
कोई रुचि न हो परंतु
वह भी इस बात को
समझ सकता है कि
उसके उद्देश्य
को पूरा करने के
लिए टी.सी.पी को
लाना ही सबसे सही
तरीका है और फिर
टी.सी.पी के द्वारा
वो गो-हत्या विरोधी
कानून पारित करवाने
के लिए समर्थन
जुटा सकता है
| इसलिए, इस प्रकार
से टी.सी.पी तथा
टी.सी.पी की माँग
लोगों को एक साझा
मंच पर एकजुट करेगी
|
1.
अगला कदम
होगा टी.सी.पी के
द्वारा
राईट टू रिप्लेस-पोलिस
कमिश्नर (आर.टी.आर.-पोलिस
कमिश्नर) अर्थात
जिला पुलिस कमिश्नर
को आम-नागरिकों
द्वारा बदलने का
अधिकार (ड्राफ्ट
के लिए चैप्टर
22, www.righttorecall.info/301.h.pdf देखें) |
70-80% नागरिक
सोचेंगे कि “यदि पुलिस का
5% भ्रष्टाचार भी
कम हो जाता है तो
इसे लागू करना
लाभदायक होगा” और वे इसके लिए
अपनी `मंजूरी` देंगे | इसके
बाद, मुख्य मंत्री
आर.टी.आर.-पोलिस
कमिशनर पर हस्ताक्षर
करेंगे जिससे उस
जिले के मतदाता
नागरिकों को अपने
जिले के पुलिस
कमिश्नर को बदलने
का अधिकार मिल
जाएगा | हमारे
अन्य प्रस्तावों
की तरह आर.टी.आर.-पोलिस
कमिशनर भी हमारे
संविधान के 33 दर्जन
अनुच्छेदों (धाराओं)
तथा वर्तमान के
सभी कानूनों से
100% मेल खाता है | किसी भी सरकारी
अधिकारी के लिए
नौकरी जाने का
डर सबसे बड़ा होता
है इसलिए 14 दिनों
के भीतर जिला पुलिस
कमिश्नर तथा अन्य
पुलिसवालों का
99% भ्रष्टाचार समाप्त
हो जाएगा तथा शेष
1% को बदल दिया जाएगा
|
यही कारण है
कि अमरीका में,
जहाँ गवर्नर (वहाँ
का मुख्यमंत्री)
तथा पुलिस प्रमुख
के लिए राईट टू
रिकॉल कानून लागू
है वहाँ 500 गवर्नर
तथा हजारों पुलिस
प्रमुखों में से
मात्र कुछ को ही
बदला गया है | जानते हैं क्यों?
क्योंकि जिन लोगों
को बदला नहीं गया
था वे हटाए जाने
अथवा सजा दिए जाने
के डर से अच्छा
व्यवहार कर रहे
थे | रिकॉल (बदलने)
के अधिकार से व्यवहार
बदलने के कारण
स्थिरता बढ़ती है
|
2.
इसके बाद,
नागरिकों के पास
यह क्षमता होगी
कि वे प्रधानमंत्री,
मुख्यमंत्री, विधायक,
सांसद, सुप्रीम
कोर्ट / हाई कोर्ट
के प्रधान जज, रिजर्व
बैंक गर्वनर, जनलोकपाल,
स्टेट बैंक चेयरमैन,
जिला शिक्षा अधिकारी,
मेयर तथा राष्ट्रीय,
राज्य व जिला स्तर
पर 251 पदाधिकारियों
को बदल सकें | आपके अनुसार
भारत के नागरिक
रिकॉल करने (बदलने)
के किस कानून का
विरोध करेंगे?
हमारा जवाब है
कि : किसी का भी नहीं
| इस तरह से 6 महीनों
के भीतर ही इन 251 पदों
पर बैठने वाले
सभी जनसेवकों,
अफसरों को वापस
बुलाया जा सकेगा
तथा इन सभी पदों
पर भ्रष्टाचार
खत्म हो जाएगा
|
टी.सी.पी
के द्वारा जनता
की हाँ/नहीं के
द्वारा नागरिक
जनता के फायदे
वाले कानूनों का
ड्राफ्ट लागू कर
सकेंगे जैसे कि
नार्को टैस्ट,
ज्यूरी द्वारा
मुकद्दमा तथा ऐसे
ही 1000 अन्य कानून | यदि इनमें
कोई कमी निकलती
है तो उसे टी.सी.पी
के द्वारा तुरंत
ही सुधार लिया
जाएगा |
नागरिक
अपनी हाँ-ना को
कभी भी रद्द कर
सकते हैं. इसलिए
ये प्रक्रिया पैसों,
गुंडों, मीडिया
द्वारा खरीदी नहीं
जा सकती
यदि भारत
रूपी यह जहाज डूबता
है तो हम सभी डूब
जाएँगे | चाहे
आप जहाज के कप्तान
रूपी धनवान लोगों
में से हों अथवा
एक आम यात्री हों
या जहाज में काम
करने वाले सबसे
गरीब कर्मचारी
हों-जहाज के डूबने
से सभी डूब जाएँगे
| भ्रष्ट लोग
देश की आबादी के
90% भाग को लूट सकते
हैं या देश को बर्बाद
कर सकते हैं | चीन और पाकिस्तान
भारत को घेरे हुए
हैं और भारत की
सेना इतनी कमजोर
हो चुकी है कि पूर्व
सेना प्रमुख ने
प्रधानमंत्री
को लिखा है कि यदि
इन हालातों में
युद्ध छिड़ता है
तो वे भारत के बचने
की कोई गारंटी
नहीं दे सकते हैं
| इसलिए,
अभी सबसे अच्छा
मौका यही है कि
हम अभी इस जर्जर
हो रहे जहाज को
दुरुस्त करें और
आगे बढ़ें ! टी.सी.पी.
इस देश रूपी जहाज
को आसानी के साथ
सुधरने का एक अच्छा
तरीका है |
राजनेता,
विदेशी कम्पनियाँ,
टीवी चैनल, समाचार
पत्र, बुद्धीजीवी
लोग आदि टी.सी.पी
कानून का विरोध
कर सकते हैं क्योंकि
इससे उनकी ताकत
लोगों के पास चली
जाएगी | इसीलिए,
हमारे और आपके
लिए यही तरीका
बचा है कि इसके
बारे में हम सीधे
ही लोगों से बात
करें |
2-4 लाख कार्यकर्ता
जन अभियानों के
द्वारा बहुत ही
कम समय में इस कानून
को करोड़ो लोगों
तक पहुँचा सकते
हैं (चैप्टर 13,14, 55, www.righttorecall.info/301.h. pdf देखें). इसके
बाद वे अपने अपने
सांसदों से माँग
कर सकते हैं कि
टी.सी.पी को भारतीय
राजपत्र (सरकारी
आदेश) में छपवाया
जाए और सब मिलकर
प्रधान मंत्री
पर भी दवाब डाल
सकते हैं कि वे
इस कानून को भारतीय
राजपत्र में छपवाएँ
| यहाँ तक कि इन
प्रक्रियाओं के
लागू होने के डर
मात्र से ही जन
सेवक सही ढ़ंग से
काम करने लगेंगे
!
हम
यहाँ पर कुछ बड़ी
सच्चाईयों का ही
बात कर सकते हैं
क्योंकि यहाँ इतनी
जगह नहीं है कि
उन्हें विस्तार
से बताया जा सके |
A. मीडिया/टीवी
में दिखाए जाने
वाले सभी नेताओं
में से 98% नेता समझौते
किए हुए होते हैं | वे आपको
मीडिया या विदेशी
कंपनियों को नुकसान
पहुँचाने वाली
सच्चाईयाँ नहीं
बता सकते | तो इस संबंध
में आपके लिए एक
सीधा सा नियम यह
है कि यदि टीवी/अखबार
में किसी नेता
का नाम (चाहे अच्छे
रूप में या बुरे
रूप में) एक महीने
में तीन बार से
ज्यादा आता है
तो - वो नेता समझौता
किया हुआ होता
है | उदाहरण
के लिए, ईमानदार
नेता राजीव दीक्षित/नेता
जी सुभास चंद्र
बोस/अशोक खेमका
को एक वर्ष में
3 बार से भी कम मीडिया
में नाम आया !!
B. क्रम से (आर्डर
से) भारत की ज्वलंत
समस्याएँ : कमजोर
हो रही भारतीय
सेना और सामने
खड़ा हुआ विदेशी
आक्रमण, विज्ञान
/ गणित की कमजोर
शिक्षा, बांग्लादेशियों
की गैरकानूनी घुसपैठ,
विदेशी कंपनियों
के हाथों बिके
हुए राजनेता/मीडिया
(अर्थात 80% राजनैतिक
खबरें बिकी हुई
होती) तथा भ्रष्टाचार |
C. हम नागरिकों
का ही भारत पर अधिकार
है | हम ईमानदार,
संपन्न और अत्यधिक
शक्तिशाली हैं | भारत के
पास किसी भी अन्य
‘विकसित’ देश से
5 गुना अधिक संसाधन
हैं जिससे सभी
नागरिकों का जीवन
सुविधा संपन्न
हो सकता है | हमारी
एकजुट आवाज से
हम कुछ भी हासिल
कर सकते हैं | जबकि मीडिया
ठीक इसके उलटी
बातें बताकर हमारा
मनोबल कम करता
रहता है | ऐसा करने के
लिए मीडिया लगातार
नागरिकों की कमियों
को बढ़ा चढ़ा कर दिखाता
है जबकि असल में
ये कमियाँ बहुत
कम हैं |
हाँ | अंग्रेजी
के पर्चों को http://righttorecall.info/001hl.pdf लिंक से
डाउनलोड कर लें
तथा इसकी फोटो
कॉपी करवा लें
(अथवा इसी वेब साइट
से बहुत सी अन्य
भारतीय भाषाओं
में/ब्रेल में
ले लें) प्रत्येक
प्रेरित कार्यकर्ता
किसी भी गाँव/शहर
आदि के बस स्टॉप
पर खड़ा होकर आधे
घण्टे में 25-100 पर्चे
बाँट सकता है | कार्यकर्ताओं
से अनुरोध किया
जाता है कि वो पर्चे
बाँटने के अपने
वीडियो को हर हफ्ते
अपने निजी यू-ट्यूब
पर अपलोड कर दें
तथा साथ ही उसे
info@righttorecall.info पर ई-मेल
भी कर दें ताकि
उसे प्रजा अधीन
शासक समूह (राईट
टू रिकाल ग्रुप)
चैनल पर डाला जा
सके | इससे
नए कार्यकर्ता
पर्चे बाँटने के
लिए प्रेरित होंगे |
नहीं | परंतु
आप पर्चे खरीद
सकते हैं | 4 पेज के पर्चे
की कीमत 0-4 रुपये
है (अर्थात नि:शुल्क
से लेकर अधिकतम
4 रुपये तक) उदाहरण
के लिए, आप कार्यकर्ता
से 400 रुपये के 100 पर्चे
खरीदने की विनती
कर सकते हैं | परंतु
यदि आप उसी कार्यकर्ता
से उन पर्चों को
बाँटॅने की विनती
करते हैं तो आपको
चाहिए कि आप या
तो उस पर्चे पर
दिए गए बॉक्स में
टिक करें (पहले
पेज के ऊपर की तरफ
बाँई ओर के कोने
में देखें) अथवा
खरीदे गए उन पर्चों
के उसी कोने को
रंग दें जिससे
कि बेचे गए उन पर्चों
को दोबारा न बेचा
जा सके | (प्रश्न-
क्या मैं किसी
दूर स्थित कार्यकर्ता
को पर्चे बनवाने
और बांटने के लिए
पैसे दान कर सकता
हूँ ? उत्तर- प्रजा
अधीन भारत समूह
दूर से पर्चों
आदि के लिए पैसे
दान करने के लिए
बढ़ावा नहीं देता
है | इस
संबंध में आपको
स्वंय लेना होगा)
पॉइंट
(बिंदु संख्या)
6,10,12 में दिए कार्य
करें और निम्मलिखित
काम भी करें -
A. यदि आप
एक चुनावी उम्मीदवार
/ राजनैतिक दल हैं
-
टी.सी.पी
का प्रचार करें,
प्रधानमंत्री
को पत्र लिखें
कि वो टी.सी.पी पर
हस्ताक्षर करके
उसे सरकारी राजपत्र
में प्रकाशित करवाएँ
तथा उस पत्र को
लोगों को दिखाएँ,
अपने घोषणा पत्र
में टी.सी.पी के
बारे में बताएँ,
अपने चुनाव प्रचार
में टी.सी.पी के
ड्राफ्ट बाँटें
तथा अन्य नागरिकों
को ये पर्चे बाँटने
के लिए दें | अपने सार्वजनिक
मोबाईल फोन को
अपनी वेबसाईट से
जोड़ें, ताकि लोगों
से प्राप्त होने
वाले सभी संदेश
उनके रजिस्टर्ड
(पंजीकृत) वोटर
आईडी के साथ अपने
आप वेबसाईट पर,
बिना लोग-इन के
सभी को दिखें | (उदाहरण
के लिए www.smstoneta.com/showcodes.php देखें)
B. यदि आप
मतदाता हैं तो
यह निश्चय करें
कि वोट किसे देना
है
मतदाताओं
को चुनाव में खड़े
होने वाले प्रत्याशियों
से कहना चाहिए
कि वे इस पर्चे
में पॉइंट 6,10, 12 और 14A में दिए
गए कार्यों को
करें | उन्हीं
मतदाताओं को समर्थन
दें जो इन सभी कार्यों
को अथवा उनमें
से ज्यादातर कार्यों
को करते हैं | यदि कोई
भी प्रत्याशी इस
जनहितकारी (जनता
के फायदे वाला)
ड्राफ्ट समर्थन
नहीं करता है तो
वोटिंग मशीन में
दिए गए नोटा (उपरोक्त
में से कोई नहीं)
बटन को दबाएँ तथा
चुनाव आयोग या
अपने इलाके के
सांसद से यह माँग
करें कि वे नोटा
को मिलने वाले
मतों की गिनती
को मान्यता प्रदान
करें |
देश के
नागरिक अन्य प्रचार
तरीके (अभियानों)
को चलाते हुए भी
अपने सांसद / प्रधानमंत्री
को एस.एम.एस.-ऑर्डर
के रूप में कुछ
लाइन लिखकर भेज
सकते हैं तथा उन्हें
10 मिनट में ही जनता
को दिखा भी सकते
हैं ! (आप अपने क्षेत्र
के सांसद का मोबाइल
नंबर लोकसभा की
वेबसाईट x.co/3gEOE से
प्राप्त कर सकते
हैं)
उदाहरण ( 3-4 एस.एम.एस. में
चला जायेगा) – “ मैं.......... वोटर
संख्या.......आप मेरे
सांसद, आपको आदेश
देता हूँ कि आप
प्रधानमंत्री
को आदेश दें कि
राजपत्र में कलेक्टर
के लिए आदेश छपवाएँ
कि वे नागरिकों
के एफिडेविट को
स्कैन करके 20 रु/पेज
से प्रधानमंत्री
वेबसाईट पर डालें.
अपने पब्लिक मोबाइल
नंबर को प्रोग्राम
द्वारा अपनी वेबसाईट
से जोड़ें ताकि
आपको प्राप्त सभी
एस.एम.एस. अपने आप
वेबसाईट पर आयें
और सभी को दिखें,
नहीं तो मैं आपको
और आपकी पार्टी
को वोट नहीं करूँगा
“
इस प्रकार
के एस.एम.एस. को भेजने
के पश्चात आप भेजे
गए एस.एम.एस. को फेसबुक
नोट्स, ई-मेल, यूट्यूब,
मीटिंगों आदि के
माध्यम से सबूत
के रूप में अन्य
लोगों को भी दिखा
सकते हैं जिससे
उन लोगों को भी
ऐसा करने की प्रेरणा
मिलेगी |
ऊपर दिए
गए उदाहरण में
कुछ शब्दों को
बदल कर, आप अपने
सांसद को कोई भी
आदेश दे सकते हैं
(उदाहरण : एम.आर.सी.एम.
कानून लागू करो)
*आपकी-वोटर
आई.डी.-संख्या*
फार्मेट
में 08141277555
पर
एक्टिवेशन-एस.एम.एस.
भेजें –
(यदि
इसे शब्दों
में कहा जाये,
तो
एक्टिवेशन-एस.एम.एस.
का फोर्मैट
होना चाहिए कि
पहले आप * टाइप
करें और उसके
तुरंत बाद आप
अपना वोटर
आ.डी. नंबर
डालें और उसके
तुरंत बाद * टाइप
करें | और 08141277555 को इस
फॉर्मेट में
एस.एम.एस. भेज
दें |
नोट - *
का मतलब विशेष
चिन्ह `स्टार`
या `तारा`
है और # का
मतलब विशेष
चिन्ह `हैश`
है | )
उदाहरण
-
*arp1234567*
जहाँ arp1234567 वोटर आई.डी.
संख्या है
किसी व्यक्ति
की (केवल उदहारण
है, असली
नहीं है) |
इस
प्रकार के
भेजे गए
एस.एम.एस. http://smstoneta.com/showcodes.php पर
प्रदर्शित
होंगे | यहाँ
आपका प्रथम चरण : आपके
वोटर आईडी से
जुड़े हुए
मोबाईल का
एक्टीवेशन, पूरा होता
है ||
08141277555
नंबर पर
एस.एम.एस. भेजे
जिसमें एक कोड
है एक पंजीकृत
मुद्दे के लिए
| कम पढ़े-लिखे
लोग भी इस सिस्टम
का प्रयोग कर
सकते हैं उस
मुद्दे के लिए
एक नंबर वाले
कोड द्वारा |
हर पंजीकृत
मुद्दे के लिए
समर्थन और
विरोध के लिए
कोड होगा (उदाहरण
: TCP Y और
TCP N टी.सी.पी.
ड्राफ्ट के
समर्थन और
विरोध के एस.एम.एस
कोड हैं और 0011
और 0012
टी.सी.पी के
लिए क्रमशः
समर्थन और
विरोध के एस.एम.एस
कोड हैं)
1.
पोस्टपेड
मोबाईल वालों के
लिए - एक्टीवेशन
एस.एम.एस. भेजने
के बाद, कृपया
नीचे बताये दस्तावेज
भेजें -
1 क)
अपने
वोटर आई.डी की स्पष्ट
और पढ़ी जा सकने
वाली कॉपी (आगे
और पीछे
दोनों तरफ से)
1 ख)
आपके
मोबाईल फोन के
बिल के आगे के पेज
की कॉपी जिस पर
आपका नाम,
मोबाईल नंबर
तथा पता दिया गया
हो |
2.
यदि आप प्री-पेड मोबाईल
वाले हैं,
तो कृपया नीचे
लिखे हुए दस्तावेज
भेजें -
1 क)
अपने
वोटर आईडी की स्पष्ट
और पढ़ी जा सकने
वाली कॉपी (आगे
और पीछे दोनों
तरफ से)
1 ख)
5-10 रुपये
(स्टांप पेपर जिसे
नोटरी या किसी
गजटेड अधिकारी
द्वारा सत्यापित
किया गया हो) का
एफिडेविट जिस पर
लिखा हो कि “मेरा नाम.........पुत्र
श्री.........है, मेरा
निवास .................. है, मेरा वोटर आईडी
........... तथा प्री-पेड
मोबाईल नंबर
.............. है | मैं अपना
वोटर आई डी तथा
मोबाईल www.smstoneta.com पर रजिस्टर करवाना
चाहता हूँ”
इन कागजों
को support@smstoneta.com पर भेजें अथवा
टी.सी.पी का प्रचार
करने वाले कार्यकर्ता
को दें जो कागजों
को भिजवाने का
कार्य कर रहे हों
|
(सभी फोटो कॉपियों
पर बड़े अक्षरों
में लिखा होना
चाहिए कि -“सिर्फ
टी.सी.पी-डेमो साईट
के प्रयोग के लिए”
)
हमारे
स्वयंसेवक मतदाता
की जानकारी जांच
कर मतदाता के पहचान
पत्र और मोबाइल
को रजिस्टर करेंगे
| मतदाता अपने
भेजे हुए रजिस्टर
एस.एम.एस. की स्थिति,
अपना मोबाइल
नंबर डाल कर, इस लिंक से पता
लगा सकता है -
www.smstoneta.com/hindi/checkdetails.php
एक बार मोबाइल
और वोटर आई.डी. का
पंजीकरण हो जाता
है, तो भेजे
गए कोड एस.एम.एस.-राय
पंजीकृत पेज पर
आ जायेंगे -http://smstoneta.com/hindi/showcodes.php
(हम
इस साईट पर केवल
अपनी टीम के साधन
उपलब्ध होने पर
ही मुद्दों को
अपलोड कर सकते
हैं | साथ
ही आपसे भी विनती
है कि आप भी अपने
प्रिय नेता/सरकार
से कहें कि वे भी
अपनी अपनी साईटों
पर ऐसे ही सिस्टम
बनाएँ जिनसे लोगों
की राय जानी जा
सके तथा उनका वोटर
आई.डी. द्वारा कोई
भी जांच सके)
1. एक
सत्यापित (जांचा
हुआ) मतदाता बनें
और हमारी साइट
पर रजिस्टर करें
| इसके लिए 15.2 में
दिए पॉइंट 1-3 देखें
2. 08141277555
को एक
एस.एम.एस.
भेजकर जिसमें
इन साईट से
निर्मित
संक्षिप्त
यू.आर.एल. हो - http://txs.io/... या http://tny.cz/...(इन
साईट में, लेख-सामग्री
के हर संशोधन
के बाद
यू.आर.एल. बदल जाता
है ) |
3. अन्य
नागरिकों से
भी पूछें ताकि
कम से कम 25 नागरिक
इस साईट पर
रजिस्टर करवा
सकें तथा पहले
से साईट पर दर्ज
किया हुआ यूनिक
यू.आर.एल. 08141277555 को
एस.एम.एस. करें ताकि
इस पेज पर वो लिंक
दिखाई दे -
www.smstoneta.com/urlcount.php
जनता
की राय रखने वाले
किसी भी डाटा
(आधार-सामग्री)
का असली मूल्य
इसमें है कि ये
किसी भी नागरिक
द्वारा जांचा जा
सकता है कि ये सत्य
है कि नहीं और
ये तभी संभव है
यदि जनता
की राय को उनके
वोटर आई.डी. के साथ
जोड़ा गया है
उदाहरण
के लिए, कोई
भी नागरिक, नागरिकों की राय
के डाटा में से
अपनी मर्जी का
सैम्पल (नमूना)
चुन सकता है, सम्बंधित राज्य
की मुख्य चुनाव
अधिकारी की वेबसाइट
पर जा कर वोटर आई.डी.
डाल कर मतदाता
की उचित जानकारी
प्राप्त कर सकता
है और ये जांच कर
सकता है कि उस व्यक्ति
ने असल में वो राय
दी थी के नहीं | अपंजीकृत प्रयोगकर्ताओं
द्वारा भेजे गए
एस.एम.एस.-राय की
जांच नहीं की जा
सकती | फिर भी, हमने
अपंजीकृत लोगों
के लिए पेज और लिंक
बनाया है, अच्छा और प्रामाणिक
राय लेना वाला
सिस्टम कैसा होना
चाहिए ये दर्शाने
के लिए |
अपंजीकृत
पेज (पन्ने) पर
रजिस्टर्ड (पंजीकृत)
कोड एस.एम.एस. दिखाने
के लिए ये नीचे
लिखे गए कदम हैं:
1) *आपकी-वोटर-आई.डी.-संख्या*
फॉरमेट में 08141277555 नंबर
पर एक टैस्ट
एक्टीवेशन
एस.एम.एस.
भेजें
उदाहरण के
लिए - *abc1234567*
सभी
अपंजीकृत
प्रयोगकर्ता
के लिए
निश्चित वोटर
आईडी का
प्रयोग करें,
यह
आईडी
है abc1234567 |
यहाँ
abc1234567 वोटर लिस्ट में
एक सैम्पल वोटर
आई.डी
है (असली नहीं है
– केवल एक उदहारण
है) | भारतीय मोबाइल
को कुछ ही मिनट
में पुष्टि वाला,
फीडबैक एस.एम.एस.
आ जायेगा |
2) फिर, कोड-एस.एम.एस. भेजें
उन विषयों के लिए
जो यहाँ पंजीकृत
किये गए हैं - smstoneta.com/showissue.php
अपंजीकृत व्यक्ति
कैसे साईट का प्रयोग
कर सकते हैं, इसकी पूरी जानकारी
यहाँ दी गयी है
- http://smstoneta.com/unregister_sms_opinion.php
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कृपया
एक संपन्न भारत
के लिए इस अभियान
का प्रचार करें
- वंदे मातरम -
राईट टू रिकॉल
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